शंका
जब कोई व्यक्ति दूसरे को दोषी ठहराता है पर उसने वो दोष नहीं किया तो उसे कर्म का उदय समझकर सहन करना चाहिए या उसका प्रतिकार करना चाहिए?
समाधान
जब हमारे अन्दर दोष नहीं तो हम प्रतिकार करें क्या? सहन कर लो! और एक बात, अक्सर जिसके पास दोष होते हैं उसको दोषी कम बताया जाता है; जिसके पास दोष नहीं होते उस पर दोष ज़्यादा लगाया जाता है। ये इस युग की परिणति ऐसी है। तो जब कोई ऐसा बोले तो उसे सुनो नहीं, ‘जब मेरे अन्दर दोष नहीं है, तो हम क्यों बोलें?’ उसे सहन कर लो कर्मों की निर्जरा होगी।
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