अगर लोग आपसे जलें या पीठ पीछे बोलें तो क्या करें?

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शंका

आजकल दूसरों की क़ाबिलियत देखकर लोग बहुत जलते हैं और पीठ पीछे बहुत कुछ बोलते हैं, बहुत बुरा लगता है। मैं छोटी सी बात से बहुत दुःखी हो जाती हूँ, कुछ करने का मन ही नहीं करता, ऐसे में हम क्या करें?

समाधान

ये स्वाभाविक प्रक्रिया है, अगर कोई आगे बढ़ता है, तो पीछे लोग उसकी निंदा-आलोचना करते ही हैं, लोग उससे जलते हैं, कुढ़ते हैं। जिसके पास कुछ काबिलियत होती हैं, लोग उसी से जलते हैं; जिसके पास कोई गुण नहीं होगा उसकी कोई आलोचना नहीं करेंगे, उससे किसी को जलन-कुढ़न नहीं होगी। इसलिए इन सब बातों से बिल्कुल प्रभावित नहीं होना चाहिए। अपनी गति को बना करके रखना चाहिए, पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। ‘मैं जो काम कर रहा हूँ, अच्छा कर रहा हूँ या नहीं?’ हम खुद देखें और अगर हमने उसको ठीक तरीके से JUSTIFY कर रखा है, तो हमें कुछ सोचने की ज़रूरत नहीं। हमारा काम चलना है, जलने वाले जलेंगे, बिना धुंआ उठे ज्योति नहीं जलती, ज्योति जलने से पहले धुंआ तो उठता ही है। हमारा ध्यान ज्योति पर होना चाहिए, धुएँ पर नहीं। लोग कुछ बोलते हैं तो बोलने दो, उसको IGNORE करो। छोटी-छोटी बातों को अगर पकड़ लोगे तो तुम अपना नुक़सान करोगे। 

दूसरी बात, तुमने कहा कि ‘अगर छोटी सी बात होती है, तो मुझे ऐसा लगता मैंने सब कुछ खो दिया।’ हमेशा ध्यान रखो, प्रतियोगिता का यही परिणाम है; हम प्रतियोगिता के रास्ते पर चलें, पर प्रतियोगी न बनें। अपनी लाइन को लम्बी करें, दूसरों को पीछे छोड़ने की कोशिश न करें। खुद को आगे बढ़ाने का प्रयास करें, ये हमारी कोशिश होनी चाहिए और यदि कोई कुछ बोलता है, तो हम उसे पकड़ें नहीं। यदि हमारे अन्दर FRUSTRATION होता है, तो हमारे पढ़े-लिखे होने का कोई मतलब नहीं। अगर तुम पढ़ाई में टॉप हो और थोड़ी सी बातों से प्रभावित हो जाती हो, तो ये तो तुम्हारे लिए TOUGH हो जाएगा। हमको TOUGH नहीं बनाना है, हर काम में टॉप होना है। छोटी-छोटी बातों को IGNORE करना सीखना है, POSITIVE सोचना है, अगर किसी ने कुछ बोल दिया तो बोल दिया। बोलने से क्या होगा? अगर उसके बोलने में सच्चाई है, तो उसे अपने जीवन से दूर करो और बोली गई बात झूठी है, तो उन बातों पर बिल्कुल भी ध्यान न दो, तभी आगे बढ़ पाओगे।

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