सपने क्या हैं? सोते समय हम ऐसी चीज़ों को देखते हैं जो हमने वास्तविक जीवन में कभी नहीं देखी हैं, वह कैसे संभव है?
स्वप्न विज्ञान के विषय में कई प्रकार से चर्चाएं हुईं हैं।
आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार वात, पित्त, कफ इन तीनों की विषमता के कारण सपनों की सृष्टि होती है। मेडिकल साइंस के अनुसार हम जब सोते हैं तो हमारा स्नायु तन्त्र संकुचित हो जाता है इसलिए हमें रात्रि में या नींद में सपने दिखते हैं। मनोविज्ञान के अनुसार हमारी तीन प्रकार की इच्छाएँ होती हैं-व्यक्त इच्छा, अभिव्यक्त इच्छा और रुद्ध इच्छा। व्यक्त इच्छाएँ वो जो प्रकट होती हैं। अव्यक्त इच्छा वह है जो अप्रकट होती है और रुद्ध इच्छा वह जिन्हें हम परिस्थितियों के कारण रोक करके रखते हैं; प्रकट हो गईं हैं लेकिन हमने उन्हें क्रियान्वित नहीं किया, रोक के रखा। मनोविज्ञान कहता है कि जब हम सोते हैं तो हमारे स्नायु तन्त्र में होने वाले संकुचन के कारण रुद्ध और अव्यक्त इच्छायें प्रतीकों के माध्यम से स्वप्न जगत की सृष्टि करती हैं। ज्योतिष के नियमानुसार हमारे भावी शुभाशुभ की संसूचना के लिए भी स्वप्न आते हैं। लेकिन ज्योतिष में यह भी बताया है कि जो अक्सर सपने आते हैं, उनका कोई अर्थ नहीं और स्वस्थ व्यक्तियों के सपने का ही कोई मतलब होता है। तो ज्योतिष के विधान अनुसार ज्यादातर सपने निष्फल होते हैं, बहुत थोड़े से सपने होते हैं जिनका कोई अर्थ होता है।
ये अलग-अलग दिशा में अलग-अलग दृष्टि से स्वप्न की व्याख्या की गई है। आपने पूछा कि सपनों में हम ऐसी चीजें देखते हैं जो वास्तविक जीवन में कभी हमने कल्पना भी नहीं की। ये हमारे रुद्ध और अव्यक्त इच्छाओं की अभिव्यक्ति है। हमारे अवचेतन (subconscious) में ऐसे संस्कार बनते हैं जो अनेक प्रतीकों के रूप में प्रकट हो जाते हैं, इनसे स्वप्न जगत की सृष्टि होती है।
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