जैनियों को अगरबत्ती जलाकर पूजा करनी चाहिए?

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शंका

वैष्णव परंपरा के लोग अगरबत्ती जलाकर, दुकान आदि में पूजा करते हैं तो हम जैन लोगों को भी वैसे ही करना चाहिए?

समाधान

अगरबत्ती जलाने का मतलब क्या है? Negative energy (नकारात्मक उर्जा) का खत्म करना! जहाँ दुर्गन्ध होती है वहाँ सुगन्ध हो। जहाँ दुर्गन्ध है वहाँ निगेटिव एनर्जी है। सुगन्ध से पॉजीटिव एनर्जी आती है। ये व्यवस्था थी कि अगरबत्ती सुबह से जलाई तो वहाँ की निगेटिव एनर्जी खत्म हुयी, और पॉजीटिव एनर्जी आयी, तो वहाँ आपको ताकत मिलती है। लोगों ने सोचा कि अगरबत्ती दिखाईं तो देवी-देवता प्रसन्न होंगे, और हमारा काम हो जायेगा। कोई देवी-देवता प्रसन्न नहीं होते। पॉजीटिव एनर्जी आती है, तो तुम्हारा मन प्रसन्न होता है। ग्राहक पर तुम्हारी पकड़ बनती है। तुम्हारा धंधा अच्छा चलता है। 

तुम अगरबत्ती दिखाओ, उसमें कुछ ऐतराज नहीं है; पर देवी-देवता मानकर तुम अगरबत्ती मत दिखाओ। सहज भाव से अगरबत्ती दिखाओ कि ‘यहाँ की अलाऐं-बलाऐं सब दूर हों। यहाँ की सारी नकारात्मकता खत्म हो। यहाँ positive energy (सकारात्मक ऊर्जा) आये ताकि मैं अच्छे से काम कर सकूँ, और अपना मन लगा सकूँ।’ सारा काम होगा।

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