किसी के यहाँ चिकन-सेंटर और किराना व्यापार एक ही जगह चलता है। हमारी दुकान से उनको किराना माल जाता है, तो क्या इससे उसका पाप लगता है?
पहले तो हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो किराने की दुकान में चिकन-सेण्टर रखता है उसके यहाँ से क्रय बंद कर दें। आप उसके यहाँ से कोई चीज न लें, ताकि वह हतोत्साहित हो। और जो चिकिन सेन्टर नहीं रखता, अण्डे आदि नहीं रखता, आप उसके यहाँ से खरीदारी करें ताकि एक शाकाहारी और शाकाहार के प्रवर्तक को आप प्रोत्साहन दे सकें।
रहा सवाल उसको माल देने का? तो ये व्यवसाय है और व्यवसाय में तो यथासम्भव जितना आप व्यावहारिक रूप से कर सकें उतना करें। इसमें बहुत सूक्ष्मता से आप विचार करें तो जितने भी non-veg (माँसाहारी) होटल हैं उसमें सप्लाई देना भी सूक्ष्म दृष्टि से दोष तो है। अब माँसाहारी को आप आटा दे रहे हैं, तो वह माँस के साथ रोटी खायेगा, तो आप भी भागीदार बनोगे क्या? ये बहुत सूक्ष्म है इतनी सूक्ष्मता में जाना प्रैक्टिकल नहीं होगा। फिर भी हमें ऐसे लोगों को हतोत्साहित करना चाहिए।
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