शंका
यदि किसी के मन में आत्महत्या का विचार आता है, तो क्या उसे उतना ही पाप लगेगा क्या जो आत्महत्या करने वाले को लगता है। आत्महत्या के भावों को हम कैसे दूर करें?
समाधान
आत्महत्या का भाव करने में भी भाव हिंसा का दोष लगता है। आत्महत्या करना यानि एक मनुष्य की हत्या का पाप करना है। इसलिए आत्महत्या का विचार भी मन में नहीं आना चाहिए। यदि किसी के मन में ऐसे कभी आत्महत्या का भाव होता है, तो महादोष-प्रद है और ऐसे भाव का शमन करना चाहिए और गुरुओं से उसका प्रायश्चित लेना चाहिए।
Leave a Reply