इतने धर्म प्रचार-प्रसार के बाद भी लोगों के आचरण में शिथिलता क्यों?

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शंका

आज कल समाज में ज्ञान का इतना प्रचार-प्रसार है उसके बाद भी आचरण क्यों नहीं है?

समाधान

ज्ञान का इतना प्रचार-प्रसार है, उसके बाद भी आचरण क्यों नहीं? ज्ञान अलग चीज है और आचरण अलग चीज है। मैं समझता हूँ कि ज्ञान का खूब प्रसार प्रचार है पर आचरण का ठीक प्रसार-प्रचार करना चाहिए और आचरण निष्ठ व्यक्ति को धर्म की प्रभावना से जुड़ना चाहिए। 

एक बार एक पत्रकार ने मुझसे सवाल किया कि महाराज जी आज कल देश में इतनी धर्म सभाएँ व प्रवचन सभाएँ हो रही हैं, सभी सम्प्रदायों के द्वारा, फिर भी देश में अपराध का ग्राफ दिनों-दिन बढ़ रहा है, तो फिर धार्मिक आयोजनों की सार्थकता कितनी है? हो सकता है कि ये सवाल आप सब के मन में भी हो? मैंने कहा कि ‘गनीमत है कि आज धार्मिक आयोजन, धर्म सभाएँ, कथा और सत्संग हो रहे हैं।’ वे बोले ‘महाराज! फिर इतना अपराध क्यों?’ “कथा सत्संग हो रहे हैं उसका ही प्रभाव है। अपराध भले बढ़ रहे हैं पर लिमिट में हैं। यदि ये सत्संग नहीं होते तो आग लग गई होती। ये जो कुछ भी बचा हुआ है इन्हीं कारणों से बचा हुआ है। एक बात बताओ कि जो लोग धार्मिक समागम में रहते हैं, कितनी देर रहते हैं? और कितने प्रतिशत रहते हैं? और जो लोग अपराध कर रहे हैं, अच्छे-अच्छे अपराधी भी, उनमें से कितने लोग धार्मिक समागम पाकर एक अच्छे इंसान बन गये हैं?” इसलिए धार्मिक समागम की प्रासंगिकता कभी भूली नहीं जा सकती। वह सदैव प्रासंगिक है। 

धार्मिक समागम का अपना महत्त्व है। हमें वह प्रभाव इसलिए नहीं दिखता क्योंकि धार्मिक समागम में शामिल होने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है। एक सर्वे बताता है कि पूरे देश की आबादी में ५-७ प्रतिशत लोग ही नियमित धार्मिक समागम करते हैं। ९०-९३ प्रतिशत लोग तो ऐसे ही हैं। कुछ occasionally (कभी-कभी) भी मान लें तो २० प्रतिशत लोग; ८० प्रतिशत लोग ऐसे ही हैं। वो भी जो नियमित करने वाले हैं वो कितनी देर? १ घंटा-२ घंटा प्रवचन समागम में रहोगे, धर्म की प्रभावना के वातावरण में रहोगे और बाकी २२ घंटा दूसरे कार्यों में रहते हो, तो क्या करते हो ये बताओ? २ घंटा यहाँ के समागम में रहोगे और २२ घंटा दूसरे समागम में रहोगे तो असर किस का पड़ेगा। एक ने कहा कि ‘महाराज जी १ घंटा आपका शंका समाधान शाम ६-७ से सुनते हैं, बड़ा मजा आता है और ७ के बाद जो सीरियल शुरू होते हैं तो सब साफ हो जाता है।’ अब बताओ क्या हुआ? किस का असर पड़ेगा? सीरियल का? २२ घंटे जिसके सम्पर्क में रहोगे या १-२ घंटे जिसके सम्पर्क में रहोगे उसका? फिर भी आपने एक घंटे का मन से लाभ लिया तो १ घंटे के समागम का बहुत गहरा लाभ आप लोग ले सकते हो। इसका पूरा लाभ लीजिए और अपने जीवन को आगे बढ़ाने का प्रयास कीजिए। 

ये जो आज कल धर्म की भावनाएँ लोगों के बीच दिख रही है ये धार्मिक समागम और धर्म प्रभावना के कारण ही सब हैं। यदि आज ये नहीं होतीं तो आज के इस consumer age (उपभोक्ता युग) के दौर में सब सत्यानाश हो गया होता। ऐसी भोग वाली वृत्ति से घिरे युग में धर्म के प्रति लगाव होना और जवानी में युवक युवतियों का मुनि दीक्षा लेने के लिए अग्रसर हो जाना ये धर्म प्रभावना का एक बहुत बड़ा उदाहरण है। जो आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी जैसे महान विभूतियों के करिश्माई व्यक्तित्व की देन है इसलिए इसका पूरा लाभ लेना चाहिए।

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