शंका
जब हमारा कोई अपना शान्त हो जाता है तब हमारे मन में जो भावना उत्पन्न होती है, क्या वो वैराग्य की भावना होती है?
समाधान
वैराग्य की भी हो सकती है और राग और द्वेष की भी हो सकती है, दोनों तरीके की होती है।
कोई अपना खो गया, चला गया और उसको याद करके रोए ये तो मोह है; और अपना कोई खो गया और उसके साथ अपना मन जाग गया कि ‘अरे! वो चला गया, कल मेरी भी बारी आ जायेगी, मेरी भी जिंदगी समाप्त हो जायेगी। मुझे सही रास्ते पर चलना चाहिए, मुझे धर्म का पक्ष नहीं छोड़ना चाहिए। धर्म का आलम्बन लेकर मुझे चलना चाहिए।’ ये भाव यदि अन्दर आ गया तो ये वैराग्य का भाव है।
तो राग का भी भाव आता है और वैराग्य का भी भाव आता है। रागी रोता है और वैरागी जागता है। वो कहता है कि ‘नहीं! मुझे अब अपने जीवन को सही रास्ते पर ले जाना चाहिए।’
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