जब भी हम कोई काम करने की सोचते हैं हम पहले ही नकारात्मक हो जाते हैं, हम सोचते हैं ‘होगा कि नहीं होगा?’ हम कैसे सकारात्मक हों और कैसे अपनी सकारात्मकता को बढ़ाएं?
‘होगा या नहीं होगा’ यह सोचने वाला, कभी आगे नहीं बढ़ सकता। ‘मुझे क्या करना है!’ यह सोचना शुरू कर दो, सब हो जाएगा। हमेशा दिमाग में एक बात रखो, ‘मैं क्या कर सकूंगा?’ यह मेरा सवाल नहीं, ‘मुझे क्या करना है?’ यह मेरा सवाल है।
जो करना है, उस लक्ष्य को सामने रखकर के चलो। जब कोई काम करना होता है या कोई फैसला लेना होता है, तो मैं यह नहीं सोचता कि यह कैसे होगा या क्या होगा? क्या करना है- पहले यह देखो; और जो करना है, उसे कैसे सफल करना है- यह सोचो, तो सारा रास्ता अपने आप खुल जाएगा। सबको मैं कहूँगा, जब मन में दुविधा आने लगे कि मैं कर सकूँगा कि नहीं, उसे हटाओ; एक ही बात दोहराओ – ‘मुझे यह करना है, मुझे यह करना है, मुझे यह करना है।’
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