घर में पालतू कुत्ता रखना शुभ होता है या अशुभ? क्या इससे हमें दोष तो लग रहा है? कृपया शंका का समाधान करें।
भारतीय परम्परा में सौम्य प्राणियों को पालने का उपदेश है, क्रूर प्राणियों को नहीं। जैन शास्त्रों में कुत्ता-बिल्ली आदि क्रूर प्राणियों को पालने से नरक आयु के बन्ध का कारण बताया है। वे क्रूर हैं, वो हिंसा करेंगे।
हमारे यहाँ गाय पालन की व्यवस्था थी, गोपालन। गाय वात्सल्य का प्रतीक है, जिस घर में गाय और बछड़े रंभाते हैं उस घर में पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो होता है और ऐसा कई जगह प्रयोग भी हुआ है। पहले हर घर में गाय होती थी, गाय रंभाती थी, घर में पॉजिटिविटी भरी रहती थी, प्रेम और आत्मीयता के भाव बने रहते थे। कुत्ता क्रूरता का प्रतीक है। आज गाय चली गई, कुत्तों ने स्थान ले लिया यानि घर से वात्सल्य विदा हो गया, क्रूरता ने अपना स्थान ले लिया इसलिए घर में गड़बड़ियां हैं, नेगेटिविटी बढ़ती है।
आज लोग कुत्तों के लिए ऐसा व्यवहार करते हैं, अपने माँ-बाप को तो कुत्तों जैसे देखते हैं और कुत्तों को बाप से भी ज़्यादा सम्मान देते हैं। एक परिचित ने बताया कि ‘महाराज! मेरे एक रिश्तेदार का तलाक केवल इसलिए हुआ क्योंकि पत्नी की शिकायत थी कि ‘तुम हमारे (पालतू) पर ठीक तरीके से ध्यान नहीं देते, मेरे कुत्ते को ठीक ढंग से पालते नहीं हो, उसका रखरखाव नहीं करते।’ यह दशा है, लाखों-लाख रुपया लोग कुत्तों के पीछे फूँक देते हैं, यह ठीक बात नहीं।
हमें सही प्राणियों का पालन करना चाहिए। प्राणी तो सब हैं लेकिन जिन्हें हमारी परम्परा में पालतू प्राणी की श्रेणी में रखा गया है, गाय-बैल आदि सौम्य प्राणियों को पालें, इनसे हमारी संस्कृति आगे बढ़ेगी। हमारे जैन आचार्य, आचार्य वीरसेन महाराज ने धवला जैसे महान ग्रन्थ में ऐसा लिखा “या श्री सा गौ” जो भी लक्ष्मी है वह गायें हैं, जो समृद्धि है वो गायें हैं तो अपने सुख समृद्धि शांति की प्रभावना करना चाहते हो, वात्सल्य की अभिव्यक्ति करना चाहते हो तो गाय को पालिए, कुत्ते मत पालिए।
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