न्यूज़ पेपर में एक विषय आया है “अब बाजार में आए गुलाबी अंडे!” अब भारतीय बाजार में आयुर्वेदिक अंडे आए हैं-आयुर्वेदिक मुर्गी का आयुर्वेदिक अंडा है, जिसे चिन्ना हर्षवर्धन रेड्डी ने तैयार किया है। तो क्या अंडे सच में आयुर्वेदिक हो सकते है?
अंडा आयुर्वेदिक नहीं होता, यह तो भ्रम जाल है। यह बड़ा विचित्र भ्रमजाल है पहले तो एक भ्रम पैदा किया नेशनल एग कोआर्डिनेशन ऑर्गेनाइजेशन (NECO) एक संस्था है हैदराबाद की, जिन्होंने अंडे को शाकाहारी निरूपित किया और अभी दूसरा शब्द छल प्रकट कर रहे हैं अंडे को आयुर्वेदिक बताने का, यह कतई नहीं हो सकता। हमारी आयुर्वेद के किसी भी शास्त्र में अंडे और मुर्गी को इस तरह से आयुर्वेदिक बताया नहीं गया।
पूरे देश के लोगों को इसकी सच्चाई का पता लगाकर पुरजोर विरोध करना चाहिए और भारत सरकार से इस बात के लिए आपत्ति जताते हुए कहना चाहिए कि आयुर्वेद हमारे ऋषि-मुनियों और सन्तों का एक बहुत बड़ा विज्ञान है- ज्ञान है, जो हजारों वर्षों से हमारी संस्कृति की सेवा करती आ रही है। ऐसे आयुर्वेद का मखौल उड़ाने वालों को कतई भाव नहीं दिया जाए, उनका भरपूर प्रतिवाद किया जाए। यह शब्द छल है और इस तरह के विज्ञापन पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए और पूरी तरह से भारत सरकार से इस बात का आग्रह करना चाहिए कि ऐसे लोगों के मंसूबों को कतई न पनपने दें, अन्यथा हमारी संस्कृति को बहुत नुकसान होगा।
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