मेरे मन में भाव बहुत अच्छे हैं, सेवा करता हूँ, मन से करता हूँ। पूरे दिन में उत्साह से रहता हूँ, कभी-कभी जब शारीरिक रुप से थक जाता हूँ तो मेरे मन में एक सेकंड को भी बात थोड़ी सी अलग होती, करंट लगता है और मैं अपना आपा खो देता हूँ।
यह तुम्हारे नहीं तुम्हारे जैसे कई लोगों की बीमारी है। महाराज से क्षमा माँगने की जरूरत नहीं है, जिनसे उलझे उनसे माँगना।
भाव अच्छा है, हाँ बर्ताव भी अच्छा रखो। तुम्हारे भाव कौन जानता है, देखने में तो बर्ताव आता है। जो जैसा भाव अच्छा रखते हैं, वैसा बर्ताव भी अच्छा रखने की कोशिश करना चाहिए। कुछ लोग होते, जो थोड़ा ज़्यादा भावुक होते हैं, जो भावुक व्यक्ति होते हैं, वह प्रायः नियंत्रण खो देते है। ऐसे लोगों को थोड़ी सी बात भी गहरे स्तर तक प्रभावित कर जाती है। जल्दी प्रतिक्रिया प्रकट कर देते है। इसके कारण उस व्यक्ति के सारे गुणों पर पानी फिर जाता है। सारे किए कराए पर पानी मत फेरो, संयम रखो, patience (धैर्य) रखो। यह चीज ध्यान में रखो कि हमें कहाँ नियंत्रण रखना? वहाँ नियंत्रण रखना शुरू करो। अपना विवेक जागृत रखो। तो जो भाव में स्खलन होता है, हम उसे भी रोक सकते हैं। बाद में क्षमा माँगना पड़े, ऐसा कम मत करो। ऐसा काम करो कि हर कोई हमें ह्रदय से लगाने के लिए लालायित हो।
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