प्री-वेडिंग शूट संस्कारों का दहन है!

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शंका

आजकल समाज एक और बुराई के गर्त में जा रहा है। आजकल रिश्ता पक्का होने के बाद और शादी से पहले लड़के और लड़की दोनों किसी रमणीक स्थान या होटल या पर्यटन स्थल पर जाकर फोटोशूट करवाते हैं, वे अकेले रहते हैं चाहे बेशक अलग-अलग कमरे में रहते हो और इन फोटो को शादी के दिन सभी मेहमानों को दिखाते हैं, लोग इसको स्टेटस सिंबल के नाम से देखते हैं, इस कारण से रिश्तो में कई बार दरार भी पड़ जाती है, जब लड़का लड़की में आपस में तालमेल नहीं बैठता है और परेशानियों का सामना करना पड़ता है, क्या यह उचित है? मुनि श्री आप समाज को, माता-पिता को तथा जिनकी शादी होने जा रही है उन बच्चों को मार्ग निर्देश देवें?

समाधान

प्री वेडिंग शूटिंग (pre wedding shooting) के नाम पर जो हो रहा है वो संस्कारों की होली है। मुझे समझ में नहीं आता कि आज के लोग इन सब चीजों को कैसे स्वीकार करतें हैं? आप देखते हैं जब यह चीजें स्क्रीन पर दिखाई जाती है प्रोजेक्टर के माध्यम से, आपका बेटा- बहू सार्वजनिक रूप से उस प्रकार की मुद्राओं में प्रस्तुत होते हैं जिसमें एक संस्कारित परिवार के बहु-बेटे एक साथ नहीं रह सकते, उचित नहीं है। उसे देखकर लोग कहते हैं कि ऐसा लगता ही नहीं है कि यह बेटे और बहू का रूप दिख रहा है, ऐसा लगता है किसी प्रेमी और प्रेमिका का रूप दिख रहा है, हमारी मर्यादाओं की धज्जियाँ उड़ती है और जब इस तरीके से खुलेआम मर्यादाओं का हनन होगा तो यदि आने वाले दिनों में आप चाहोगे कि हमारे घर में आई बहू हमारी मर्यादा का ख्याल रखे, लज्जा और संकोच को अपनाए तो ये कतई सम्भव नहीं होगा। 

अगर आप चाहते हैं कि हम अपने घर परिवार की मर्यादाओं को सुरक्षित करके चले तो आपको चाहिए कि इस तरह का कार्य प्रोत्साहित ही न करें, एकदम स्पष्ट निर्देशित करें। मैंने सुना है कि यह सब कार्यक्रम महिला संगीत के साथ जोड़ा जाता है, बिल्कुल नहीं होना चाहिए। महिला संगीत ही बहुत बुरा कार्यक्रम है अभी कल ही मुझे एक समाचार बताया कि नवंबर माह में दो शादीशुदा जैन महिलाएँ, मुंबई के अलग-अलग कोरियोग्राफर के साथ भागी हैं। यह सब चीजें हैं जो समाज को विकृति की और ले जा रही हैं, हमें इसके प्रति सावधान और सजग होने की आवश्यकता है। जब तक हम इन सब बातों पर गम्भीरता से ध्यान नहीं देंगे, अपनी संस्कृति की सुरक्षा नहीं कर पाएँगे इसलिए हमें चाहिए कि हम अपनी मूलभूत सांस्कृतिक परम्पराओं को अक्षुण्ण रखें और इस तरह की विकृति पूर्ण बातों को कतई प्रोत्साहित न करें।

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