आजकल कहीं मंगल होने के कारण, तो कहीं कम गुण मिलान होने के कारण बहुत से कुँवारे लड़के-लड़कियों की उम्र ३० से ज़्यादा बढ़ती जा रही है, जो समाज के लिए बहुत बड़ी समस्या है। कहीं शादी की बात चल रही होती है और पंडित जी के पास कुंडली मिलान करने और शादी की लगन यानि तारीख पूछने जाते हैं तो पंडित जी कहते हैं ‘इस कुंडली में मंगल है और कम गुण मिलान हो रहा है, लड़की या लड़कों के नक्षत्र तेज हैं, यहाँ शादी करना उचित नहीं है’, जिससे कुछ नासमझ लड़के-लड़की गलत रास्ते पर चले जाते हैं, महाराज जी उक्त सन्दर्भ में अपना मार्गदर्शन दें?
मैं तो इस पर बिल्कुल भरोसा नहीं करता, मैंने ऐसे अनेक उदाहरण देखे हैं जिनके ३६ गुण मिले और आज ३६ का आंकड़ा है; और बहुतों को, ऐसों को भी देखा है जिन्होंने कुंडली नहीं मिलाई है पर उनकी जीवन की कुंडली मिल रही है और शानदार पारी चल रही है। मैं तो विश्वास नहीं करता, अब जिनका मनोबल कमजोर है वो तो विश्वास करते हैं। उन चक्करों में कई लोगों को मैंने देखा, अच्छे-अच्छे संबंधों को छोड़ देते हैं, ये एक प्रकार की कमजोरी है।
यह मेरा मानना है कि आज के दिन में तो जन्म कुंडली प्रासंगिक है ही नहीं। क्यों नहीं है? मैंने अनेक बार बोला- क्योंकि आपका जन्म ही नैसर्गिक नहीं है। अब तो जन्म बाद में होता है, कुंडली पहले बन जाती है। पहले से डाक्टर तारीख दे देता है, ऑपरेशन से बच्चे होते हैं तो फिर कुंडली का मतलब क्या? दूसरी बात पहले बच्चों का जन्म घरों में होता था तो वहाँ की उसकी जन्मपत्री, वहाँ के अक्षांश-देशांश से होती थी। अब तो सबका जन्म अस्पतालों में होता है। अब मान लीजिये कटनी और जबलपुर जैसी जगह है जहाँ के १००– २०० किलोमीटर के एरिया के लोग आकर के यही डिलीवरी कराते हैं। हो सकता है कई लोग हों जिनको यहाँ नहीं कराना, बोलते हैं ‘भैया, हमको मुंबई करना, हमको दिल्ली करना है।’ अब वहाँ आदमी जन्म लेगा, व्यक्ति तो कटनी का था और उसकी डिलीवरी दिल्ली में हो रही है, तो जन्मपत्री दिल्ली की बनेगी, तो ये स्वाभाविक कहाँ हुआ? कोई व्यक्ति स्वाभाविक तौर से कहीं यात्रा पर जाये और वहाँ उसका जन्म हो जाए तो वहाँ से जन्मपत्री बने, कोई दिक्कत नहीं पर इस तरह अपनी च्वाइस से ऐसे स्थानों का चयन करना सही नहीं।
फिर दूसरी बात, मान लीजिए १ तारीख में, १ दिन में, एक शहर में १०० बच्चों का भी जन्म हुआ एक टाइम पर, अगर १०० बच्चों का जन्म हुआ है, तो १०० का अक्षांश- देशांश मिलाकर उनका इष्टकाल निकाला जाएगा तो सबका एक सा बनेगा अगर उसी टाइम ड्यूरेशन में हुआ है, तो सबकी जन्म पत्री एक हो गई। हाँ, सबकी जन्मपत्री एक हो गई तब जन्मपत्री में इतना दिमाग लगाने की क्या बात? पंडित लोग अपनी कुंडली नहीं मिलाते हैं, वो तो है ही, अपनी कुंडली क्यों मिलाएँ क्योंकि उनको पता है। ज्योतिष है सही लेकिन अब अप्रासंगिक हो गया।
यह बताओ कर्म के आगे किसका योग चलता है? रामचंद्र जी का विवाह कितने अच्छे मुहूर्त में किया गया था। विवाह के बाद ही पासा पलट गया। कहाँ है मुहूर्त? सब धरा रह गया। इसलिए कहते हैं
करम गति टारे नहीं टरी,
योग्य वशिष्ठ सम ज्ञानी पंडित वच वच लगन धरी,
करम गति टारे नहीं टरी।
तो इन बातों को हमें ध्यान में रखकर के चलना चाहिए और इसी के बल पर अपना क्रम आगे बढ़ाना चाहिए, तभी हमारा सब कुछ करना सार्थक होगा। जिन का मनोबल कमजोर है वैसे ही इंतजार करते रहें। मैं हमेशा कहता हूँ, कुंडली मत मिलाओ, मेंटल वाइब्रेशन मिलना चाहिए, जिनसे मिलकर आपको लगने लगे कि यह सम्बन्ध हो जाए तो सबसे उत्तम, समझ लो सब कुंडली मिल गई। wavelength मिलनी चाहिए तब आप अपने जीवन को ज़्यादा सफल और समर्थ बना सकेंगे।
Leave a Reply