आजकल समाज में aquarium culture चल पड़ा है यानि घरों पर, दुकानों पर मछलियों को पालने की एक परम्परा चल पड़ी है। वास्तु के अनुसार इसको रखने से बहुत ही वैभव मिलता है, शांति मिलती है। कई मन्दिरों में पंडित भी कहते हैं ‘इनको देखने से हमारा दिन अच्छा गुजरेगा, रोज मछलियों के दर्शन करने चाहिए।’ मछलियों को घर के अन्दर पालना कितना धर्म सम्मत है, कितना उचित है और कितना अनुचित है?
एक्वेरियम (मछलीघर) का जो चलन है, आजकल बहुत तेजी से बढ़ रहा है। मीडिया भी इसमें अपना योगदान बहुत ज़्यादा दे रहा है। पर ये घोर पाप का कारण है। क्यों? आपने जिन मछलियों को वहाँ रखा है, उनका जन्म कहाँ हुआ? वो प्राकृतिक रूप से अपने जन्म स्थल पर जन्मी, वहाँ से आपने उनको निकाला, एक नए वातावरण में, एक सीमित दायरे में बाँध दिया। उसमें कई तो ऐसी भी हैं जो अकाल मौत के कारण शिकार हो जाती हैं क्योंकि उनको वो वातावरण नहीं मिलता। उनको बन्धना पड़ता है। किसी भी प्राणी के प्राकृतिक जीवन के साथ छेड़खानी करना घोर हिंसा है। ये बन्धन नाम की हिंसा है। इसमें बन्ध भी है और बन्धन भी और पीड़न भी, उनको पीड़ा भी पहुँचती है। इसलिए इसे हिंसा का कर्म मानना चाहिए। कभी भी एक्वेरियम अपने घर में नहीं रखना चाहिए।
अब, ‘अभी रख लिया है, तो उसका क्या करें?’ जितनी मछलियाँ उसमें हैं, उनकी आयु पूरी होने तक उनको रखो और जब पूर्ण हो जाए, उसे हटा देना। बीच में हटाओगे तो न इधर की रहेंगी न उधर की; लेकिन इतने दिन का पाप तो तुम्हें लगेगा ही, आगे से कभी भी अपने घर में मछलीघर मत रखना।
ये सब जो कहा जाता है- कि ‘इससे धन-संपत्ति की वृद्धि होती है’, तो दुकान धंधा बंद कर दो, इन्हीं को रख के प्रयोग करके देख लो। देखता हूँ कितनी धन सम्पत्ति बढ़ती है? ये सब बेवकूफी की बातें हैं, लोगों का अन्धविश्वास है, जो तरह-तरह के टोटके बाजी में उलझ करके ही अपना सारा जीवन बर्बाद कर देते हैं। अपना बहुमूल्य समय ऐसे फालतू के कार्यों में बिल्कुल नहीं बिताना चाहिए। मैं सबसे कहूँगा कि एक्वेरियम के इस कल्चर को खत्म करना चाहिए। इसे कहीं प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए। बल्कि उसको देखने में भी आप पाप के अनुमोदक होते हैं। आप कभी भी ऐसे स्थल पर जाओ तो उसकी अनुमोदना भी मत करना क्योंकि आपने यातना का अनुमोदन किया है, आपने बन्धन का अनुमोदन किया है, आपने पीड़न का अनुमोदन किया है यानी आपने हिंसा का अनुमोदन किया है। ये महान पाप है, इसलिए ऐसे पाप के भागीदार बनने से बचिए।
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