बोलियाँ लेकर भूल जाने का क्या परिणाम और इसका क्या समाधान है?

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शंका

लोग बड़ी-बड़ी बोलियाँ बोलते हैं, लेते हैं और फिर भूल जाते हैं। इसके क्या परिणाम होंगे और इसका क्या समाधान है?

समाधान

कहीं भी, कभी भी, किसी भी प्रकार की दानराशि धर्म के कार्य में आप ने कही हो तो उसे आपको समय सीमा के अन्दर स्व-प्रेरणा से पहुँचा देना चाहिए। पहला प्रयास तो होना चाहिए कि हमने अगर दान बोला है, तो तुरन्त दे दें। पर कई बार ऐसी स्थितियाँ होती हैं कि तुरन्त देने की स्थिति नहीं बनती तो आप घर जाकर के भेज दें; ऐसा है, तो जिस समय दान बोल रहे हैं, दान का संकल्प ले रहे हैं उसी समय यह संकल्प ले लें कि यह धनराशि हम इतने समय की अवधि में देंगे और उसमें एक कंडीशन और जोड़ दें कि ‘मेरी आज जैसी पोजीशन रही और मैं इस दुनिया में रहा तो…अन्यथा नहीं!’ — “आज जैसी परिस्थिति रही और मैं इस दुनिया में रहा तो इतने दिन में मैं दूँगा!”, इस बीच यदि किसी संयोग से कोई अनर्थ हुआ तो आप उसके दोषी नहीं कहलाएँगे।

लेकिन कई बार होता है कि लोग छोटी-मोटी दान राशि बोलते हैं और भूल जाते हैं। प्राय: समारोहों में ऐसी गलतियाँ होती हैं। बोलियाँ लगती हैं, लोग बोलियाँ बोल देते हैं। केवल सामने वाले का नाम नोट कर लिया जाता है उसका पता नहीं रहता, उसका फोन नंबर नहीं रहता, उसका कोई रिकॉर्ड नहीं रहता। जब एक बड़े समूह और समारोह में बड़ी बड़ी दान राशियाँ घोषित की जाती हैं तो कई बार लिखा भी नहीं जाता। आपने दान राशि बोल दी, अब आप का डिटेल वहाँ है नहीं; आयोजक आपसे सम्पर्क नहीं कर पाते और आप घर जाकर के भूल गए तो अनापेक्षित पाप के भागीदार बन जाते हैं। 

इससे बचने का एक आसन रास्ता मैं आप सब को समझाता हूँ। जहाँ कहीं भी दान बोलो आप तुरन्त वहाँ के आयोजकों को अपना नाम-नंबर लिखा दो और अपनी डायरी में भी लिख लो कि ‘इस डेट में मैंने इतनी धनराशि बोली है, मुझे इतने समय अवधि में इसे पहुँचाना है।’ आयोजकों को बोलो- ‘यदि मैं भूल जाऊँ तो मुझे रिमाइंड कर देना, तो मैं भेज दूँगा’; और जब वो रिमाइंड करें उसके रिमाइंडर को बुरा न मानो यह सोचो कि वह आपको पाप से बचाने के लिए ये कार्य कर रहे हैं। अपनी राशि भेजें, क्योंकि दान बोलने के बाद उस राशि को नहीं चुकाना महापाप का कारण होता है। कुछ दिन पहले मैंने निर्माल्य के दुष्परिणाम की चर्चा आप सबके बीच की थी। इसलिए यह सावधानी जरूर रखनी चाहिए। दान आपने अपनी प्रेरणा से बोला है, अपने कल्याण के लिए बोला है, तो आपको खुद यह चाहिए कि आप अपने दान में कोई भी कमी न आने दें और उसके प्रति सावधानी रखें।

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