शंका
हमने बहुत बड़े-बड़े ग्रन्थ तो पढ़ लिए है; जैसे इष्टोपदेश, द्रव्य संग्रह, तत्वार्थ सूत्र- फिर भी हम वैसा चारित्र क्यों नहीं धारण कर पा रहे हैं?
समाधान
आप अव्रतियों से पढ़ोगे तो केवल पढ़ते ही रह जाओगे। आप व्रती से पढ़ोगे तो चारित्र के क्षेत्र में आगे बढ़ जाओगे। उनसे सम्बन्ध बनाओ और उनकी शरण में रहकर के कुछ पढ़ना लिखना शुरू करो तो बदलाव आएगा।
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