यशस्वी कौन होता है?

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शंका

मैं आपके प्रवचनों से काफी प्रभावित हूँ और अपने आप में काफी बदलाव करना चाह रहा हूँ। अक्सर देखा गया है, यशस्वी की परिभाषा ज़्यादा धन कमाने से जोड़ी जाती है। यहाँ तक कि परिजनों में, समाज में, साधु-सन्तों के भी नजरों में एक अलग ही महत्त्वता दी जाती है। यहाँ तक कि आदमी भी अपने आपकी नजरों में यशस्वी ज़्यादा धन कमाने से मानता है, समझता है, ऐसा क्यों?

समाधान

मैं आपकी बातों से सहमत नहीं हूँ। यद्यपि आजकल धन-पैसा व्यक्ति की प्रतिष्ठा का प्रतिमान है लेकिन मेरी नजर में यशस्वी वो नहीं जो धनी है। मैं एक सवाल पूछता हूँ धनवानों का यश ज़्यादा है कि हम धन-पैसे से दूर रहने वालों का यश ज़्यादा है? बोलो! मेरे पास कोई धन है, मेरे पास कोई पैसा है, मैं सामने उदाहरण बोल रहा हूँ, प्रत्यक्ष किम प्रमाणं, मैं सवाल पूछ रहा हूँ। ये लोक धारणा है, तुम्हारी बात बिल्कुल सही है, तुम्हारी नहीं तुम्हारे जैसे अनेक लोगों की ऐसी अवधारणा है और लोक में ऐसा कहा जाता है। पर मैं पूछता हूँ कि मेरे पास क्या है, मेरे व्यक्तिगत सत्व और स्वामित्त्व का तो कुछ भी नहीं है। मेरे तन में एक धागा भी नहीं है और मेरे लिए क्या है आवश्यक? समाज से अगर है, तो २४ घंटे में एक बार भोजन और पानी, इसके अलावा कुछ है, फिर भी ये बताओ कौन यशस्वी है, किसका यश ज़्यादा है? अब आप बोलोगे महाराज, आप तो साधु-सन्त हो, हम आपकी बात थोड़ी कर रहे हैं। हम लोग जब बात करते हैं तो आप लोगों को अलग करके अपने लोगों की बात करते हैं, वहाँ आता हूँ।

ये जो कहते हो कि यशस्वी वो है जो धनी है, गलत है, मैं कहता हूँ यशस्वी वो होता है जो धनी होने के साथ दानी बनता है, उदार बनता है उसका यश होता है। और नीति कहती है “कीर्ति दानानुसारणी”। दुनिया में बहुत पैसे वाले लोग हैं, पर जो कंजूस होते हैं न, कंजूस, उनको लोग कहते हैं बड़ा कंजूस है मक्खीचूस है, कहते हैं कि नहीं कहते हैं, उनका कोई यश नहीं होता। यश केवल उनका होता है जो उदार होते हैं, तो मैं कहना चाहता हूँ धन सम्पन्नता गृहस्थ जीवन में होती है, होनी चाहिए लेकिन संपन्न होने के साथ-साथ उदार बनने का प्रयास करो, यश तब होगा। कई ऐसे लोग हैं जो अकूट सम्पत्ति के मालिक हैं लेकिन उनका समाज के लिए देश के लिए कोई योगदान नहीं और उनको कोई भी उनका गुणगान नहीं करता, समझ गये। तो यशस्विता अपनी बढ़ानी चाहते हो तो आप अपने जीवन को उसके अनुरूप ढालो। और एक पंक्ति कहता हूँ, धनी होना बहुत साधारण बात है, दानी बनना बहुत कठिन। और ये बात ध्यान रखना धनी व्यक्ति को लोग केवल जानते हैं, ध्यान से सुनना, धनवान व्यक्ति को लोग केवल जानते हैं और उदार व्यक्ति को लोग हृदय से चाहते हैं। आप क्या चाहते हो, लोग मुझे जाने या लोग मुझे चाहे? लोग चाहे, बस अगर चाहे तो धनी तो बन ही गए हो, उदारता भी है, कोशिश करो, भगवान से एक ही प्रार्थना करो, भगवन मेरे हाथ में जब तक है मैं उसका सही उपयोग करता रहूँ और जब भी उसके सद्‍व्यय की आवश्यकता हो मेरे हाथों में संकोच न हो, मेरी मुट्ठी खुली रहे, जीवन धन्य होगा।

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