जब व्यक्ति धर्म मार्ग पर चलता है, तो उसे कौन-कौन से गुण सहित होना चाहिए और कौन-कौन से अवगुण रहित होना चाहिए?
जो धर्म मार्ग पर चलते हैं उनके जीवन में यह ७ बातें अगर जुड़ जाए तो सब बातें आ जाएं। वो ७ बातें एकदम सामान्य सी हैं जिसे रोज आप भगवान की पूजा के बाद एक प्रार्थना के रूप में प्रकट कर सकते हैं।
शास्त्राभ्यासो जिनपति –नुति: संगति: सर्वदायै:
सदवृत्तानां गुण-गण कथा, दोष-वादे च मौनम्।
सर्वस्यापि प्रिय-हित –वचो, भावना चात्मतत्वे
संपद्यंतां मम भवे भवे, याव-देते पवर्ग:।
आप लोग हिंदी में बोलते हो- शास्त्रों का हो पठन सुखदा– नियमित शास्त्रों के पठन-पाठन, स्वाध्याय, तत्वाभ्यास की रूचि, लाभ सत्संगति का– सत्संगति के लाभ की भावना होनी चाहिए। सदवृतों का सुजस कहकर दोष ढाकूं सभी का– गुणवानों का गुण गाओ और दूसरों के दोषों को ढाकने की वृत्ति रखो। बोलूँ प्यारे वचन हित के– मुख से हित मित प्रिय वचन बोले, एक धर्मात्मा व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत जरूरी है। अप्रिय कटुक कठोर शब्द और आलोचक वृत्ति यह मनुष्य के जीवन के पतन का बहुत बड़ा कारण है। आपका रूप ध्याऊँ– भगवान के प्रति ह्रदय से भक्ति और तोलों सेऊ चरण जिन के मोक्ष जोलों न पाऊँ– हे भगवान, आपके चरणों की मैं जब तक सेवा करूँ जब तक मुक्ति को प्राप्त न कर सकूँ, इतनी बातें जीवन में आ जाए तो हमारा जीवन धन्य हो जाये।
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