धर्म और अध्यात्म में क्या अन्तर है?
धर्म आचार का नाम है और अध्यात्म विचार का नाम है। धर्म में क्रिया है, प्रवृत्ति है, तो अध्यात्म में अप्रवृत्ति है। जो पूजा-पाठ आदि धार्मिक क्रियाएँ हम करते हैं, वह व्यवहार में धर्म कहलाता है लेकिन उसके साथ-साथ जो हमारी सोच में परिवर्तन आता है- भोगों से विरक्ति का भाव, धन-पैसे आदि से निस्पृहता का भाव, परिवार-परिजनों के प्रति अनासक्ति का भाव, शरीर आदि के प्रति अलगाव का भाव- ये सब अध्यात्म है। और ये आध्यात्मिक की प्रारम्भिक भूमिका है, जो उत्तरोत्तर बढ़ती है। जो व्यक्ति को आत्मनिष्ठ करती है। धर्म आचार का नाम है। “धारयति इति धर्मः”। अध्यात्म का मतलब “आत्मनि अधि इति अध्यात्म”। जिसे धारण करो वो धर्म; और जो आत्मा के नजदीक रह जाए उसका नाम अध्यात्म। तो धर्म का मतलब अपनी क्रिया में और आचरण में निर्मलता लाना। अध्यात्म का मतलब अपने विचारों की शुद्धि के साथ जीवन को परिमार्जित करना।
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