क्या शनि ग्रह और शुक्र ग्रह होते हैं?

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शंका

क्या शनि ग्रह और शुक्र ग्रह होते हैं?

समाधान

सबसे बड़ा ग्रह है परिग्रह। जब तक परिग्रह है, तब तक सब ग्रह हैं। जिसका परिग्रह खत्म, उसके सब ग्रह खत्! ग्रह-नक्षत्र के विषय में पहले भी प्रश्न आया था। ये प्रश्न बार-बार उठता है। 

समझिए, ग्रह नक्षत्र हमारा न बिगाड़ करते हैं न सुधार करते हैं। ये एक अन्धविश्वास है। जो लोग ये सोचते हैं कि ये ग्रह मुझे परेशान कर रहा है, ये नक्षत्र मुझे परेशान कर रहा है, ये घोर अन्धविश्वास का फल है। आपको मेरी बात शायद हजम नहीं होगी आप कहोगे कि “महाराज ऐसा है, तो फिर ज्योतिष का सिद्धान्त क्या होगा?” मैं कहता हूँ ज्योतिष गलत नहीं है, ज्योतिष की समझ गलत है। इसको ठीक ढंग से समझिए। मैंने पहले भी इसके बारे में चर्चा की है। लेकिन ये ऐसा मुद्दा है कि हर दो-तीन महीने में एक बार आ जाना चाहिए, आ ही जाता है। 

क्या होता है सिस्टम? ग्रह, नक्षत्र अपनी गति से नित्य गतिशील होते हैं, वे ऊर्जा के पिंड हैं। उनके भ्रमण से सृष्टि के जो रसायन है वो प्रभावित होते हैं और कहा जाता है। “यद् पिंडे, तद् ब्रह्माण्डे” -जो पिंड में है, वही ब्रह्माण्ड में है। यानी जो तत्त्व हमारे शरीर में है, वही ब्रह्माण्ड में है। ग्रह-नक्षत्र अपनी गति से घूमना शुरू करते हैं और वो ऊर्जा के स्रोत हैं। उनके परिभ्रमण से ब्रह्माण्ड के तत्त्वों में परिवर्तन आता है और उनमें परिवर्तन आता है, तो हमारे शरीर के रसायनों में परिवर्तन आ जाता है। शरीर के रसायन बदलते हैं तो कर्म और आत्मा का सम्बन्ध भी बदलते हैं, जो एक रासायनिक सम्बन्ध हैं। तो कर्मों की केमिस्ट्री बदल जाती हैं और कर्मों की दशा बदलती है, हमारे जीवन पर उसका प्रभाव भी पड़ने लगता है। तो हमारे ज्ञानियों ने एक गणित विकसित किया, एक विज्ञान विकसित किया और गोचर बना दिया कि इस स्थिति में जन्म लेने वाले व्यक्ति का, इस दशा में जन्म लेने वाले का , वह ग्रह उच्च स्थिति में, इसकी मंद स्थिति में, इस ग्रह की दृष्टि में, ऐसा उसका जन्म हुआ वो जन्म कुंडली बन गई। तो एक अनुमान बनाया गया और उसके आधार पर फलित ज्योतिष विकसित हुआ। 

लोगों ने उस आशय को तो भुला दिया और ये पकड़ लिया कि ये ग्रह-नक्षत्र ही पेर रहे हैं, हमको परेशान कर रहे हैं। वो क्या पेरेंगे आपको, सबसे पीड़ित तो वो ही हैं। आप तो शांति से यहाँ बैठे हैं। वो तो मेरू प्रदक्षिणा नित्य गतियों से कर रहे हैं। चौबीस घंटे घूमना है उनको, समझ गए? तो वो हमारा कोई बिगाड़-सुधार नहीं करा रहे हैं। बिगाड़-सुधार हमारे परिणाम करते हैं। हाँ! ज्योतिष के माध्यम से हम जानकर अपने शरीर में होने वाले उस तरह के तत्वों की पूर्ति अपनी साधना से, अपनी आराधना से तथा अन्य अनुष्ठान से पूरी कर सकते हैं और कर्मों को आंशिक रूप में परिवर्तित कर सकते हैं। तुम कितने भी ग्रहों को पूजोगे, तुम्हारा उद्धार नहीं होगा। हाँ! अगर भगवान की शरण में आओगे तो कोई भी ग्रह और परिग्रह तुम पर हावी नहीं होगा।

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