दूसरों के शादीशुदा जीवन को देखते हुए हम शादी करने का निर्णय नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही वैराग्य भाव दृढ नहीं होने से उस मार्ग पर भी नहीं जा सकते। इस अनिर्णय की स्थिति में आपका निर्णय मुझे दिशा प्रदान करने में वरदान स्वरूप होगा। कृपया अनुकम्पा कर मार्ग प्रशस्त करें।
ये दुविधा पूर्ण स्थिति है, दूसरों को देख करके शादी से डरने वाला वैराग्य में तो नहीं निकल सकता, पक्का है। क्योंकि वो परिस्थिति से प्रेरित हो करके इस मार्ग में आएगा तो टिक नहीं पाएगा। मन:स्थिति यदि प्रेरित करें और इस मार्ग में आओ तो तुम वैराग्य के मार्ग पर चल पाओगे। इसलिए शादी तो जो है सो है ही, अपनी जगह है, पर ऐसा नहीं है कि लोग गृहस्थ अवस्था में रहते हैं तो उनका जीवन पूरी तरह से बर्बाद ही हो। बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं जो गृहस्थी को जीवन जीते हुए बहुत मधुर जीवन भी जीते हैं और धर्म-ध्यान के साथ आगे बढ़ते हैं। अपने मन को तोल करके देखो, परिस्थितियों से घबराओ नहीं। जिन परिस्थितियों से घबराकर तुम शादी से दूर हटने का निर्णय ले रहे हो, साधु बनोगे तो उससे भी ज़्यादा भयानक परिस्थितियाँ आएँगी। भागने वाला साधु नहीं बनता, जागने वाला साधु बनता है।अपनी आत्मा को जगाओगे तभी साधना के मार्ग पर बढ़ पाओगे।
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