शंका
दुःख का मूल कारण क्या है?
समाधान
दुःख का सम्बन्ध हमारे मन से होता है। एक दुःख होता है और एक कष्ट होता है। कष्ट या परेशानी हमारे पाप कर्म के उदय से आती है। मनुष्य के जब अशुभ कर्मों का उदय होता है, तो उसके जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियाँ प्रकट होने लगती है उन परेशानियों को दूर करना चाहते हो या उन परेशानियों को जीतना चाहते हो, तो जब अशुभ कर्मों का उदय हो तो अपने मन में यथा-सम्भव समता धारण करना चाहिए, सहनशीलता को बढ़ाना चाहिए और खूब देव पूजा करना चाहिए, गुरु सेवा करनी चाहिए, पात्र दान करना चाहिए, णमोकार मन्त्र की जाप व आराधना करना चाहिए। इससे हमारा अशुभ अमंगल टलता है।
जहाँ तक दुःख की बात है, तो यदि मनुष्य के मन में ज्ञान हो जाए तो कष्टों के बीच भी मुस्कुरा सकता है।
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