शंका
कभी कभी किसी के पाप कर्मों का उदय चलता ही रहता है। ऐसे में यदि उसके भाव बहुत अच्छे हों तो फिर यह भावों का परिणाम है या पाप कर्म का उदय है?
समाधान
पाप कर्म के उदय में अच्छे भाव रखना बहुत अच्छा पुरुषार्थ है। यह पुरुषार्थ का चमत्कार है। यदि पाप कर्म का उदय है, तो अपने भाव अच्छे बनाए रखें।
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