साधना को प्रबल बनाने के लिए चर्या कैसी रखें?

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शंका

मैंने ब्रह्मचर्य व्रत लिया है लेकिन जिम्मेदारियों के कारण मेरी साधना अधूरी रहती है, मन में धर्म करने की प्रबल इच्छा है लेकिन वैसी चर्या नहीं होती। कृपया उपाय बताकर मुझे स्थिर कीजिए।

समाधान

स्वाध्याय कीजिए, सत्संग कीजिए, अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने के बाद जो शेष समय बचें उसको धर्म ध्यान में लगाइए। अपने संवेग और वैराग्य भाव को जगाईए, आपकी साधना पलेगी और व्रत निभेगा।

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