शंका
पहले जब लोग मन्दिरों में जाते थे तो सिर पर साफा, टोपी या पगड़ी पहनकर के जाते थे लेकिन आज हम देखते हैं तो सब लोग बिना सर को ढके मन्दिर में जाते हैं, तो क्या ये उचित है?
समाधान
सिर पर टोपी और सिर को ढकना- दो बातों का प्रतीक है; गौरव की रक्षा और मर्यादा की रक्षा। पहले लोग आत्म गौरव को बहुत ध्यान में रखते थे, टोपी पहनते थे या साफा पहनते थे; और मर्यादाओं का हनन नहीं करते थे, इसलिए सर ढककर जाते थे। लेकिन आजकल दोनों चीजें खत्म हो गयीं है, लोगों का आत्म गौरव घटता जा रहा है और मर्यादाएँ दिनों दिन क्षीण होती जा रही हैं इसलिए यह गड़बड़ियाँ हो रही है, ऐसा नहीं होना चाहिए। मन्दिर में पूर्णत: मर्यादा का पालन होना चाहिए।
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