महाराज जी! आजकल लड़के- लड़कियों की सगाई के बाद उनका मिलना- जुलना बढ़ जाता है। यहाँ तक कि कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि सगाई टूट भी जाती है। इस विषय में कृपया मार्गदर्शन दें।
यह बहुत गम्भीर बात आपने उठाई है। शादी ब्याह का प्रश्न यह उसके सामने उठाया है जिसने विवाह कभी किया नहीं, जाना नहीं!
लड़के- लड़कियों की सगाई के बाद मिलने- जुलने से जटिलताएँ आ रही है, लोगों के सामने बड़ी समस्या है, मैं एक पंक्ति में केवल इतना कहना चाहूँगा कि हम अपनी मर्यादाओं को खोएँगे तो कभी सुरक्षित नहीं रहेंगे। जब तक हमारी मर्यादा है तभी तक हमारी सुरक्षा है। इसलिए सगाई के बाद जब तक विधिवत् विवाह नहीं हो जाता, बहुत ज़्यादा मेल मिलाप को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
कुछ नई सोच के लोग इसे दूसरे अर्थ में लेते हो कहते हैं कि “भाई! शादी के पहले बातचीत चलनी चाहिए। इससे एक दूसरे को समझने के लिए ज़्यादा अनुकूलता बन जाती है।” पर ऐसा समझना भी ठीक नहीं कि सम्बन्ध ही खराब हो जाए। इस तरह की प्रवृत्तियों को मैं कतई हितकारी नहीं मानता।
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