शंका
हम जब भी टूर (tour) पे जाते हैं, कहीं बाहर घूमने जाते हैं और वहाँ कोई गरीब हमसे भीख माँगता है, तो हमारे मित्र हमें मना करते हैं कि ये गरीब नहीं है और ये बस अभिनय कर रहें हैं। तो सच और झूठ की पहचान कैसे हो?
समाधान
ऐसी घड़ी में जब हमारी किसी की पीड़ा को देखकर हमारे मन में करुणा उमड़ती है, उस समय ज़्यादा जांच-पड़ताल नहीं करना चाहिए। ‘नेकी कर और कुएँ में डाल’ की उक्ति को याद रखते हुए जो हमें करना है, करके निकल जाना चाहिए।
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