यदि कोई बच्चा जन्म के दो माह बाद से ही अपने नाना-नानी के घर रहता है और वहीं उसका पालन-पोषण होता है परन्तु सामाजिक या क़ानूनी किसी भी तरह की गोद की कोई रस्म नहीं हुई है। बच्चा अब युवा हो गया है और वो मूल परिवार का सूतक-पातक नहीं मानता है ऐसी स्थिति में दोष का कौन भागी होगा और उसके लिए हमें क्या करना चाहिए?
जब तक गोदनामा नहीं होता तब तक गोत्र नहीं बदलता और जब तक गोत्र नहीं बदलता तब तक सूतक-पातक लगता है। क्योंकि उस बच्चे का २ माह से अपना नाना-नानी के साथ संसर्ग है, निश्चित रूप से झुकाव उधर बढ़ गया होगा। तब उनके नाना-नानी को चाहिए जब इतना सब कुछ कर ही लिया तो आज विधिवत् गोदनामा कर ले, समस्या ही हल हो जायेगी।
उनको समझा दिया जाए और विधिवत् गोदनामा उनका हो जाएगा, गोत्र बदल जाएगा। कोई जरूरी नहीं कि छोटे बच्चे को ही गोद लिया जाए, बड़े को भी गोदनामा में अंकित किया जा सकता है। पंचों के मध्य अगर उसे कर लिया जाए तो कानूनी जटिलताएँ भी खत्म हो जाएगी और हमारी धार्मिक दुविधा भी समाप्त हो जाएगी और जब तक गोदनामा नहीं हो तब तक उस बच्चे को मानना ही चाहिए।
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