शंका
आप सभी एक ही आचार्य के योग्य शिष्य हैं, प्रारम्भ में वो मन में गुरु हो गए और अब बिना मस्तिष्क को लगाये आप मन से गुरु बन गए; पर आपने कहा था एक ही गुरु होना चाहिए, ऐसे में क्या करें?
समाधान
तुम तो कपड़े की तरह गुरु बदलने लगे। कल वो, आज हम और कल तीसरे को मानने लगोगे, तो गड़बड़ हो जाएगा, निष्ठा एक होनी चाहिये।
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