शंका
राग-द्वेष एवं माध्यस्त भाव क्या होते हैं? समता एवं विषमता में इसका कैसे पालन हो?
समाधान
राग-द्वेष का मतलब है किसी चीज से प्रभावित हो जाना-व्यक्ति से, वस्तु से, घटना से। माध्यस्त भाव का मतलब है अप्रभावित रहना! राग द्वेष करना अमाध्यस्थता है, राग द्वेष न करना माध्यस्थता है। राग द्वेष विषमता है और राग द्वेष का अभाव ही समता है।
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