मेरी भावना में हम ये पंक्तियाँ बोलते हैं “फैले प्रेम परस्पर जग में, मोह दूर ही रहा करे”; प्रेम और मोह में क्या अन्तर है? क्या ये दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हैं?
नहीं, प्रेम और मोह में उतना ही अन्तर है जितना कि वात्सल्य और वासना में, वात्सल्य और वासना का अन्तर समझते हैं? वात्सल्य प्रेम की सात्विक अनुभूति- अभिव्यक्ति है और वासना एक विकृत परिणीति है।
“क्या अपने बच्चों के साथ मोह होता है?”
आपने पूछा है प्रेम और मोह में क्या अन्तर है? तो जो वात्सल्य और वासना का अन्तर है वो प्रेम और मोह में अन्तर है वात्सल्य अनुकरणीय है, वासना नहीं। रहा सवाल बच्चों के प्रति प्रेम होता है या मोह। प्रायः लोगों का बच्चों से प्रेम कम मोह ज़्यादा होता है। अगर बच्चे से प्रेम हो तो आप अपने ही बच्चे से प्रेम नहीं करोगे, औरों के बच्चों से भी प्रेम करोगे। प्रेम जब किसी एक पर केंद्रित हो जाए तो उसे मोह समझना और प्रेम जब सर्वव्यापी बन जाए तो उसे प्रेम समझना। मोह हमें सीमित करता है, संकीर्ण बनाता है; प्रेम हमें विस्तीर्ण करता है, व्यापक बनाता है।
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