आपने कहा है, “जो कार्य अनैतिक हो वो नहीं करना चाहिए, अवैधानिक हो तो चलेगा” तो क्या अवैधानिक कार्य अनैतिक कार्य नहीं है?
मैंने यह कभी नहीं कहा कि अवैधानिक कार्य चलेगा। मैंने ये कहा कि अनैतिक और अवैधानिक अलग-अलग है। अनैतिक-जिसमें हिंसा है, शोषण है और किसी के साथ विश्वासघात आदि का कार्य है ये सब अनैतिक है। ये कार्य महापाप है। महापाप- नरक आदि का कारण!
अवैधानिक मैंने उसे कहा जो राजकीय नियमों के विरुद्ध है। व्यक्ति को राजकीय नियमों का भी पालन करना चाहिए। राजकीय नियमों के उल्लंघन का मैं विधान नहीं करता, पर कोई व्यक्ति यदि इनका उल्लंघन करता है उस व्यक्ति को और जो व्यक्ति अनैतिक कार्य करता है उस व्यक्ति को दोनों को समान दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। उसे मैंने सुविधा शुल्क से जोड़ा था जो आज के सिस्टम का पार्ट बन गया है। सही काम करने के भी लोग पैसे लेते हैं। जब तुम्हें सरकार तनखा देती है तो ऊपर से पैसे क्यों लेते हो? लेकिन लोग कहते हैं ‘फाइल पर वजन रखे बिना फाइल ऊपर ही नहीं आती’, तो ये अवैधानिक है।
नियम विरुद्ध गलत तरीके से कोई काम कर रहा हो वो अनैतिक लेकिन सही कार्य करने के एवज़ में भी पैसा लेना वो अवैधानिक है। हमें दोनों से बचना चाहिए। पर प्रथम चरण में अगर नहीं बच सकते तो कहते हैं , “सर्वनाशे समुत्पन्ने अर्धं त्यजति पण्डितः” पाप जितना छोड़ो उतना अच्छा।
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