परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के चातुर्मास धर्म क्षेत्र और तीर्थ क्षेत्रों में ही क्यों होते हैं, शहरों में क्यों नहीं?
देखिये! वही उनके साधना के अनुकूल है। शहरों में आ जाएँ तो law and order (क़ानून और व्यवस्था) सब गड़बड़ा जाए, प्रशासन पस्त होता है। वे एकान्त में रहते हैं, तब इतनी भीड़ होती है, भीड़ में आ जाएं तो पता नहीं क्या होगा! शहर में रहेंगे तो एक शहर के होकर रह जाएँगे, क्षेत्र में रहेंगे तो सारी दुनिया के होते हैं, सब को लाभ मिलता है।
फिर दूसरी बात, उनका पुण्य इतना प्रबल है कि शहर की और क्षेत्र की बात छोड़िए, जहाँ रहते हैं, जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहाँ शहर जैसा माहौल बन जाता है। यह उनका प्रभाव है, उनके वहाँ रहने से उनकी धर्म साधना तो होती है, लोगों को भी विशिष्ट धर्म आराधन करने का शुभ अवसर मिल जाता है और क्षेत्रों का विकास भी हो जाता है।
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