शंका
मैं धर्म की राह पर आगे बढ़ना चाहती हूँ और मुझे इसके लिए सानिध्य और परिवार का सहयोग और प्रेरणा भी मिलती है। लेकिन अपने ही आत्मविश्वास की कमी के कारण इसमें आगे नहीं बढ़ पाती। इसके लिए मैं क्या करूँ? यह मेरे कौन से कर्म का उदय है? क्या करूँ कि मैं इस डर को मिटा सकूँ?
समाधान
आत्मविश्वास की कमी है, तो अपने आपको आत्मविश्वास से भरने का प्रयास करो। धर्म के प्रति आत्मविश्वास और साहस की वृद्धि ज्ञान और वैराग्य के बल पर सम्भव है। तत्त्व का ज्ञान पाओ! और अपने भीतर के वैराग्य को बढ़ाओ। ज्ञान दिशा देगा और वैराग्य से उसमें स्थिरता आएगी।
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