शंका
मैं पिछले १ साल से अध्यात्म कर रही हूँ, इस चतुर्मास में मेरे भाव हो गए हैं कि मैं अपना सारा जीवन अनाथ और गरीब बच्चों के सेवा और विद्या दान करते हुए व्यतीत करना चाहती हूँ। किन्तु मैं विवाह नहीं करूँगी, क्योंकि विवाहिक जीवन के साथ धर्म और विद्यादान नहीं हो पाएगा। मेरे घर वाले मेरी इस बात से सहमत नहीं हैं। कृपया मार्गदर्शन करें।
समाधान
आपका ये जो भाव है, अपने इस नश्वर जीवन को सार्थक बनाने का बहुत अच्छा भाव है। यह जो भाव आपके मन में आया है जगा है, इसे और स्थिर बनाएँ। जहाँ तक घर वालों की सहमति का प्रश्न है, किसी के घर वाले किसी को परमार्थ के क्षेत्र में जाने के लिए सहजता से सहमति नहीं देते। आप अपने दृढ़ता के बल पर उन्हें अपने से सहमत करें। आपका रास्ता प्रशस्त होगा।
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