शंका
क्या हमें कोई भी पुण्य कार्य करते समय यह सोचना चाहिए कि ‘पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक कार्य करने से यह पुण्यार्जन होगा’ या हमें अपना धर्म अपनी सरलता से करना चहिए?
समाधान
आप चाहे पुण्यार्जन सोचो और चाहे धर्म सोचो, उसमें कोई हानि नहीं। पुण्यार्जन भी अपना धर्म है ऐसा मानकर के सोचो।
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