आपने मिथ्यात्त्व की इतनी अच्छी परिभाषा बताई है कि इस बार हमारा करवा चौथ करने का मन ही नहीं कर रहा है, लेकिन मन में एक डर बना रहता है कि अगर हमने व्रत न किया और हमारे पति को कुछ हो गया तो परिवार वाले जो कुछ न कह दें? तो अब हमें क्या करना चाहिए?
जो करवा चौथ नहीं मनाते उनके पतियों को कुछ होता है क्या? जो होना होगा सो होगा! जो करवा चौथ करती हैं क्या उनके पतियों को कुछ नहीं होता? यह बताओ ऐसी कौन महिला है जो करवा चौथ करती हो और विधवा न हुई हो? यह तो योग है। यह सब चीजें अन्धविश्वास हैं।
अपने परिवार के, अपने पति के, अपने प्रिय के दीर्घ जीवन का मंगल भाव रखें और मंगल कामना करें, इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन इस तरह की बातें कि ऐसा करने से ऐसा होगा– ठीक नहीं। अपने पुण्य को गाढ़ा करने के लिए जिनेन्द्र भगवान के द्वारा प्रतिपादित मार्ग के अनुरूप व्रत-संयम का पालन करो, जिससे पुण्य गाढ़ा हो और जीवन आगे बढ़े।
कुछ भी करो पर भगवान की वाणी को अपने हृदय में स्थापित कर लो कि संसार के सारे संयोग-वियोग मेरे अधीन नहीं कर्म के अधीन हैं। यदि कर्म भारी होंगे तो मैं कितना भी कुछ क्यों न करूँ कुछ भी ठीक नहीं होगा।
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