शरद पूर्णिमा के विषय में हम लोगों को मन में कैसे विचार लाना चाहिए?
आपने शरद पूर्णिमा के विषय में बात की। शरद पूर्णिमा को ऐसे देखा जाए तो प्राकृतिक रूप से अमृत को बरसाने वाला दिन है और हम लोग अगर अपने सन्दर्भ में देखें तो आज अमृत पुरुष का जन्म हुआ है। इस पर अमृततुल्य दिन है।
वर्तमान में कोई भी जीव सम्यक् दर्शन के साथ जन्म नहीं लेता इसलिए हमारे गुरुदेव तीर्थंकरों के अतिरिक्त किसी की भी जन्म जयंती मनाने का निषेध करते हैं। हम लोग उनका जन्मोत्सव नहीं मनाते। गुरुदेव का जन्म दिन हम लोग नहीं मना रहे हैं लेकिन आज की तिथि में यदि वह भौतिक रूप में अपना पार्थिव शरीर में जन्म नहीं लेते तो हमें गुरुदेव के रुप में भी वह प्राप्त नहीं होते। इसलिए जन्म-तिथि की दृष्टि से तो बात अलग है परन्तु याद करने की दृष्टि से तो जब मौका मिल जाए तो किसी न किसी रूप में उन्हें याद कर लेना चाहिए। यह एक अद्भुत घड़ी है और शरद पूर्णिमा के दिन जन्म लेना उनका इस धरती पर अवतरित होना, निश्चित ही महान व्यक्तित्त्व का परिचायक है और पूरी समाज उसका एहसास कर रही है। निश्चित रूप से उनका व्यक्तित्त्व खुद शरद पूर्णिमा के चाँद जैसा है वह चाँद तो आकाश में उगता है और केवल रात में दिखता है पर यह चाँद धरती पर निकला है और दिन और रात दोनों समय अपनी चाँदनी बिखेरता है।
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