शंका
भक्तामर जी के यन्त्र आदि कुछ लोगों के द्वारा बनाकर के बाजार में बिक्री हो रहे हैं, यह कहाँ तक उचित है?
समाधान
भक्तामर स्तोत्र के जो यन्त्र, मन्त्र और रिद्धियाँ आदि चलन में आई है, तो यह सब बहुत पश्चाताप की बात है। मेरी दृष्टि से भक्तामर अपने आप में एक मन्त्र है, इसका एक-एक अक्षर अपने आप में मन्त्र है। इसके लिए अलग से कुछ करने की जरूरत नहीं है। यह सब चीजें बाद में लाई गई है और इनके पीछे मुझे ऐसा भी दिखता है कि लोगों का काम हो या न हो, दुकानदारी बहुत चलने लगी है।
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