शंका
मैं लगभग ५५ वर्षों से वर्ष में ५-७ दिन को छोड़कर नित्य देव स्तुति के साथ भक्तामर स्तोत्र का पाठ कर रहा हूँ। वर्तमान में यह पाठ मूलनायक पार्श्वनाथ भगवान व अन्य मूर्तियों के अभिषेक के साथ करता हूँ किन्तु लगभग २५% काव्यों का पाठ मन्दिर के दर्शन करने, अभिषेक का जल छान कर लेने व बाद में प्रक्षाल के कपड़े सुखाते समय करता हूँ तो क्या यह उचित है?
समाधान
ये स्तोत्र इतना महिमाशाली स्तोत्र है, इसको स्थिर चित्त से आप पढ़ेंगे तो ज़्यादा लाभ होगा। आप प्रक्षाल के समय दूसरा पाठ करो। इस पाठ को लगभग २० से २५ मिनट लगता है, एकदम इत्मीनान से आप पढ़ो और देखो आपके आनन्द में कितनी वृद्धि होती है।
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