मंत्र पाठ और जाप का रोगी पर प्रभाव!

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शंका

हमारे किसी परिवारजन या घनिष्ठ की तबियत खराब होती है, तो कहा जाता है कि उसके स्वास्थ्य लाभ या वेदना के शमन के लिए हम माला जाप करें, यह तो हम कर रहे हैं तो इस कार्य से उसकी स्वास्थ्य लाभ में कैसे फर्क पड़ेगा क्योंकि वो तो अनकॉन्शियस (unconscious) है?

समाधान

वो तो अनकॉन्शियस (unconscious) है लेकिन उसे अनकॉन्शियस (unconscious) करने वाला कौन है, उसका कर्म है। कर्म क्या है-एक पुद्गल है। हम जब पाठ करते हैं जाप करते हैं तो शब्द वर्गंणाओं को छोड़ते हैं, यह भी एक पौद्गलिक वर्गंणा है वह भी तरंगों (waves) में मिलती है, तरंगों (waves) में घुलती है, तो वातावरण को प्रभावित करती है। हम किसी के प्रति सद्भावनायें जागृत करते हैं, प्रकट करते हैं, उसे किसी के लिए प्रेषित करते हैं और वो वहाँ तक पहुँचे तो वहाँ के वातावरण में बहुत कुछ अन्तर आ सकता है और ये परिवर्तन होता है। 

मैं आपको एक घटना बता रहा हूँ, मन्त्र जाप का व्यक्ति के ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है। हमारे संघ में एक मुनि महाराज थे, प्रवचन सागर जी, २००३ में अमरकंटक में उन्हें कुत्ते ने काट खाया। मुनि महाराज हैं, जैसा देसी उपचार होता है, हो गया। तीन-चार महीने बाद आचार्य श्री ने उन्हें अमरकंटक से विहार कराया, कटनी की ओर आ रहे थे, रास्ते में उनको हाइड्रोफोबिया के सिम्टम्स परिलक्षित हो गये। डेढ़ दिन में जैसे-तैसे कटनी आए, डाक्टरों ने देखा और यह बता दिया कि हाइड्रोफोबिया का सिम्टम्स डेवलप हो जाने के बाद दुनिया में कोई इलाज नहीं। साँप का काटा बच सकता है, कुत्ते का काटा नहीं बच सकता। ऐसा भी हुआ है कि आज कुत्ते ने काटा है, ४० साल बाद हाइड्रोफोबिया हुआ, भयानक मौत। उस समय संघ के युवा मुनि थे, बहुत अच्छे तपस्वी और होनहार साधु थे लेकिन अब ऐसी स्थिति हो गई। हम लोग बहोरीबंद में थे, गुरुदेव का संकेत मिला, १ दिन में ५० किलोमीटर चल करके हम लोग कटनी पहुंचे। वहाँ हमारे बहुत सारे त्यागी व्रती आए हुए थे, कम से कम १०० होंगे। सबने जाप किया, मृत्यु को तो कोई बचा नहीं सकता। हम कहते हैं “मणि मन्त्र-तन्त्र बहु होई, मरते न बचावे कोई”, लेकिन मैं आपको बताऊँ, कुत्ते के काटने के बाद, जैसे कहते हैं, व्यक्ति पानी की तरफ लपकता है, काटने दौड़ता है वह सब जो लक्षण होते हैं, वह कुछ नहीं हुए। उनके जब अन्तिम समय में प्राण निकलने की स्थिति थी, तब मैं वहीं था, इतने शान्त भाव से सल्लेखना हुई, यह मन्त्र का चमत्कारी प्रभाव है। डाक्टरों ने बोला कि इस तरह के केस में जिस तरह के सिमटम होते हैं कुछ भी नहीं हुआ, एकदम शान्त भाव से समाधि हुई। 

इसे मन्त्र जाप का प्रभाव विशेष माना जा सकता है। इसलिए कहीं भी हो तो माला- जाप जरूर करें, विशुद्धि पूर्वक करें।

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