संयुक्त परिवार में कर्म बन्ध ज़्यादा निर्जरा कम होती है। मार्गदर्शन दीजिये?
आपकी ये अवधारणा गलत है, मैंं समझता हूँ संयुक्त परिवार में कर्म बन्ध कम व निर्जरा ज़्यादा है। संयुक्त परिवार तभी चलता है जब लोगों के मन में उदारता और सहिष्णुता हो, समता हो तब परिवार प्रेम से चलता है। उदारता व सहिष्णुता होने से व्यक्ति के सामने विषमता के अवसर आते हैं, तनाव के अवसर आते हैं पर व्यक्ति उससे प्रभावित नहीं होता तो निर्जरा ही तो करता है।
संयुक्त परिवार तब चलता है जब कोई चार बातें कह दे और आप उस को समता से झेल लो। किसी ने चार बातें कहीं तो उसको आश्रव हुआ और जिसने समता से झेला उसने निर्जरा की तो किसकी निर्जरा ज़्यादा हुई? एकल परिवार में तो है ही नहीं। एकल परिवार में क्या होता है बताऊं? संयुक्त परिवार में तो सब कषाय बंट जाती है, एकल परिवार में दो और चार में ही सिमट जाती है। तो हिसाब-किताब तो बराबर चलता है इसलिए ध्यान रखना निर्जरा के लिए बाहर का वातावरण प्रधान नहीं है, निर्जरा के लिए हमारी मन की दशा प्रधान है। तो अपनी मनोदशा को ठीक रखेंगे, आपका जीवन आगे चलेगा। आज हर कोई इस चीज को अच्छे तरीके से महसूस करता है। संयुक्त रहने में जिस तरह की शांति और अनुकूलता है वो अकेले रहने में नहीं है।
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