शादियों का सीजन आने वाला है और दी के साथ पार्टियाँ भी होती हैं। इंदौर से कई बच्चों का प्रश्न आया हुआ है कि यदि हम दिन में शादी करते हैं तो उस से हमें क्या-क्या लाभ होगा और दिन में शादी करने से हमें कौन से धर्म की प्राप्ति होगी, किस प्रकार से उसमें धर्म लाभ होगा?
दिन में शादी में धर्म है और रात में शादी में अधर्म। मैं तो यह कहता हूँ रात में शादी यानि अन्धेरे में शादी और सारे पाप अन्धेरे में ही होते हैं। रात्रिकालीन विवाह और भोजों में जैन धर्म की धज्जियाँ उड़ती हैं, उसमें 3 ‘डी’ की विकृति आती है। 3-डी मतलब ड्रिंक, डिनर और डांस– सब एक साथ चलता है।
मैं जब जैन समाज के युवकों से बात करता हूँ जो भी युवक शराब पीने के आदी हुए हैं, उनमें से ७०% युवक यह कहते हैं, “महाराज, ब्याह-बरात की छूट दे दो” मतलब वे ब्याह-बरात में इसीलिए जाते हैं क्योंकि उनको पीने-खाने की आजादी मिलती है। इस कुपरंपरा को रोकने के लिए, इस कुरीति को रोकने के लिए, इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए जरूरत है विवाह दिन में करें, भोज दिन में करें। मैंने मध्यप्रदेश के प्रवास के समय समाज को एक नारा दिया था “दिन में शादी दिन में भोज, यही अहिंसा का जयघोष”। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि हम उस समय जहाँ भी गए, उन लोगों ने उसका संकल्प लिया, न केवल संकल्प लिया अपितु आज भी बहुसंख्यक लोग उसे निभा रहे हैं। इधर भी निभना चाहिए, सारे देश में एक परिवर्तन होना चाहिए, ये फिजूलखर्ची को रोकता है, अपव्यय को रोकता है, कुसंस्कारों को रोकता है और फालतू रतजगे से बचा देता है। सब तरफ फायदे ही फायदे हैं।
मध्यप्रदेश के सागर शहर में जब हमने इस अभियान की शुरुआत की थी तो वहाँ के सांसद थे डॉक्टर वीरेंद्र कुमार, वह जाति से खटीक पर आचरण में जैनों से भी अच्छे। मई के महीने में उनके परिवार में एक शादी थी, जैनियों के इस अभियान से प्रेरित होकर 48 डिग्री के टेंपरेचर में उन्होंने वह शादी दिन में संपन्न की थी। ये प्रेरणा है कि एक अजैन व्यक्ति जो राजनीति के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ा हुआ है वह व्यक्ति भी ऐसा कर सकता है। ये आप लोगों को सोचना है कि आप क्या कर रहे हैं? 1998 में दिसंबर महीने की बात है, पाकिस्तान में नवाज शरीफ की सरकार थी और उन दिनों इंदौर की नई दुनिया में मैंने एक खबर पढ़ी थी, 27- 28 दिसंबर के आसपास की बात है। 1998 की नवाज शरीफ की कैबिनेट ने फैसला किया कि फिजूलखर्ची और वहाँ की अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए रात्रिकालीन निकाह और भोजों पर प्रतिबंध लगाया जाए, यह इतना अपव्यय होता है। इस प्रक्रिया को रोकना चाहिए और इस कार्य में युवाओं को भी आगे आना चाहिए ताकि इस प्रवृत्ति से समाज को बचाया जा सके। समाज को संगठित रूप से इसके प्रयास करने चाहिए।
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