समाज के कमजोर वर्ग, जो शिक्षा आदि प्राप्त करने के हेतु सहायता चाहते हैं, उनकी सहायता के लिए हम उनकी पात्रता/योग्यता का आँकलन किस प्रकार करें? वे आगे भी धर्म और धर्म की आचार संहिता से जुड़े रहें इसके लिए हम क्या करें?
साधर्मी को सहयोग देना समदत्ति के अन्तर्गत आता है। हर साधर्मी को साधर्मी के लिए मजबूत बनाने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि साधर्मी मजबूत होगा तभी धर्म मजबूत होगा। इस दृष्टि से, हमारे समाज का कोई भी अभावग्रस्त व्यक्ति हो, उसको अपनी शक्ति और संसाधन के अनुरूप यथासम्भव सहयोग देना चाहिए। आज की शिक्षा बहुत महँगी हो गई है। साधारण व्यक्ति जिसकी आमदनी ₹5000 या ₹7000 महीने की है, वह अपने बच्चों को पढ़ाने में मुश्किल महसूस करता है; उच्च शिक्षा तो और भी कठिन होती है जिसकी साल की फीस लाखों लाख रुपए की है, वह कहाँ से चुकायेगा? समाज के समर्थ लोग इस क्षेत्र में आगे आते हैं, बहुत अच्छी बात है, आना ही चाहिए और आप जैसे लोग आगे आ रहे हैं।
रहा सवाल उचित पात्रता का- पात्रता को कई स्तर से परखा जा सकता है। सबसे पहली बात -जिस व्यक्ति ने आपके पास आवेदन दिया है या प्रस्ताव रखा है, वास्तविकता में उसकी आर्थिक स्थिति ठीक है या नहीं? इसका पता करना चाहिए।
दूसरी बात– ऐसा व्यक्ति नशामुक्त होना चाहिए।
तीसरी बात– उसे देव, शास्त्र, गुरु के प्रति समर्पित होना चाहिए;
और चौथी बात– उसे एक संकल्प लेना चाहिए कि “पढ़- लिख कर के जब मैं अपने कार्यक्षेत्र में जाऊँगा तो अपने जीवन में कम से कम एक विद्यार्थी को उसकी पढ़ाई के लिए सहयोग करता रहूंगा।”
संकल्प दिलाते जाएं तो परिपाटी चलते रहेगी। केवल सहयोग दे दिया तो काम नहीं चलेगा। उसे यह संकल्प भी दिलाना चाहिए कि “मैं अपना विवाह जैन से ही करूँगा।”
आजकल यह भी गड़बड़ हो रहा है। एक बड़ा अभावग्रस्त लड़का मेरे पास आया, उसने अपनी व्यथा मुझसे कही। वह प्रतिभासंपन्न था, नवोदय से कक्ष १२th में 95% अंकों से पास हुआ था। उसके पिताजी पुजारी थे, उसकी स्थिति को देखकर मैंने उसकी अनुशंसा कर दी। वह आगे पढ़ लिख कर ICWA हो गया और उसका महालेखा विभाग में चयन हो गया। बाकी सब कुछ तो ठीक लेकिन तीन साल सम्पर्क से अलग होने के कारण उसने एक ईसाई लड़की से शादी कर ली। धर्म से ही विमुख हो गया। हम सहयोग किस लिए दे रहे हैं? अपने साधर्मी को मजबूत बनाने के लिए। तो जिनको भी आप सहयोग दें, यह सुनिश्चित करें कि उसका संकल्प मजबूत हो और श्रद्धा मजबूत हो। बीच बीच में संपर्क स्थापित करने की भी कोशिश करनी चाहिए ताकि पता चल सके कि वह भटक तो नहीं रहा। अगर भटकता दिखे तो उसका स्थितिकरण करना चाहिए।
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