तीर्थों का प्रबंधन देखने वाले साधर्मी ऐसे निभाएँ अपना कर्तव्य!

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शंका

पदमप्रभु भगवन के चतुर्थ कल्याणक क्षेत्र प्रभासगिरि में आपके पधारने से बहुत से श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हो गया है। मैं अभी तक प्रशासनिक (administrative) क्षेत्र में रहा और मैं अब प्रभासगिरि में कार्य कर रहा हूँ। मैं समाज में रहते हुए क्षेत्र के कार्य एवं अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा के बीच कैसे सामंजस्य स्थापित कर सकता हूँ?

समाधान

आपने जो जिम्मेदारी ली है उसे दृढ़ता से निभाएँ, कर्तव्यों का पालन करें। आज सभी तीर्थ क्षेत्रों का रखरखाव समाज के लोग ही कर रहे हैं, आप के माध्यम से मैं सभी से इतना कहना चाहता हूँ, जो सामाजिक कार्यकर्ता हैं, धर्मायतनों की रक्षा करते हैं, वे जी भर कर के धर्मायतनों की रक्षा करें, उनका निर्माण करें लेकिन उसे अपनी जागीर न समझें। 

धर्मायतन को श्रद्धा का आयतन मान करके स्वीकार करें, सत्ता का अधिष्ठान न मानें। अगर आप उसे श्रद्धा का आयतन मान करके कार्य करेंगे तो आपके अन्दर विनम्रता बनी रहेगी और पुण्य का उपार्जन होगा। सत्ता का अधिष्ठान मान कर करेंगे तो आपका अहम् पुष्ट होगा, राजनीति प्रारंभ हो जाएगी, मामला गड़बड़ हो जाएगा। लोगों ने विश्वास और भरोसा रख कर आपके कंधों पर दायित्त्व सौंपा है, आप उसे निभाइये और क्षेत्र की चौमुखी विकास में अपनी सहभागिता दीजिए।

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