अनीति-अन्याय से धनोपार्जन करने पर परिजनों को कौन से कर्म का बन्ध होगा?

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शंका

कोई व्यक्ति अनीति-अन्याय से धनोपार्जन करता है और अपने परिवार का पालन पोषण करता है, तो उसको परिजनों को कौन से कर्म का बन्ध होगा?

समाधान

मूलबन्ध तो उसका होगा जो उपार्जन करता है और परिवार का उसमें जितना अनुमोदन होगा उतना उनके लिए उस बन्ध का भाग होगा। यदि धनोपार्जन का कोई दूसरा साधन नहीं भी है, तो भी पाप तो हो ही रहा है। यदि वे भूखे भी हों, इसका मतलब यह नहीं कि पेट भरने के लिए किसी की हत्या कर दी जाए। भीख माँग कर जीना अच्छा है लेकिन किसी की हत्या करके पेट भरना अच्छा नहीं है।

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