सत्य, सेवा और धर्म के रास्ते पर चलने में इतनी अड़चनें क्यों आती हैं?

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शंका

कोई यदि सत्य, सेवा और धर्म के रास्ते पर चलता है, तो उसके रास्ते में पारिवारिक और सामाजिक अड़चनें ज़्यादा आती हैं, ऐसा क्यों?

समाधान

अच्छे कार्य में अनेक प्रकार के विघ्न होते हैं और बुरे कार्य में नहीं तो इसे हमें सहन करना चाहिए। यह उसकी परीक्षा का एक अंग है और उससे विचलित नहीं होना चाहिए। जब भी फूल खिलते हैं तो काँटें फूलों के साथ होते हैं। जहाँ अच्छाईयाँ होती है, वहाँ अवरोध आते हैं लेकिन व्यक्ति निष्ठावान है, तो अपने जीवन में आने वाले अवरोधों से कभी घबराता नहीं और वह उसका दृढ़ता से सामना करता है। हमारे यहाँ मुनि के लिए कहा है- अपने मार्ग से च्युत न होने के लिए और अपने कर्मों की निर्जरा के लिए हमेशा प्रतिकूल परिस्थितियों को सहने का अभ्यास करो। यह एक बहुत बड़ा सूत्र है और इसमें बहुत गहराई है। मैं आपसे ही नहीं, आप जैसे उन तमाम लोगों से कहता हूँ जो सेवा और समाज के कल्याण का व्रत ले रखे हैं, वह एक प्रकार का परिषह है उनको सहन करें और अपने लक्ष्य में आगे बढ़ते चलें। यही आपके जीवन की तपस्या है और इसी में जीवन की सफलता है।

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