हम श्रावक लोग ज्योतिष के चक्कर में रहते हैं। ज्योतिष उपाय के रूप में अन्य धर्म के देवी देवताओं का पूजन-पाठन, दर्शन, फल-फूल और मिठाई चढ़ाने के लिए कहते हैं।जब श्रावक वहाँ जाते हैं तो वहाँ से जैन धर्म का भटकाव होता है और शिथिलीकरण होता है। और वही उपाय अपने जैन मन्दिरों में भी करने लगते हैं। इनके लिए आपने पहले धर्म बचाओ आंदोलन शुरू किया था तो अब धर्म बढ़ाओ हेतु मार्ग दर्शन करें?
कभी भी अन्धविश्वासों का शिकार नहीं होना चाहिए। ज्योतिष एक ऐसी विद्या है जिसके बल पर आप अपने जीवन का आध्यात्मिक उत्कर्ष कर सकते हैं। लेकिन ज्योतिष के साथ जुड़े हुए टोटकेबाजी में व्यक्ति बहुत उलझकर रह जाता है। आप सही ज्योतिष के जानकार से सम्पर्क करें। आज जैन परम्परा में भी बहुत से ऐसे ज्योतिष हैं जो आपको आपका भावी बता सकते हैं और अपने वर्तमान के पुरुषार्थ को ठीक करें।
मेरा तो यह कहना है कि किसी ज्योतिषी के आगे अपनी जन्मपत्री देने की भी आवश्यकता नहीं है। आपको जब भी अशुभ, अमंगल, अनिष्ट दिखे खूब भगवान की भक्ति करो और एक बात समझ लो कि मेरे पुण्य की क्षीणता है, पापोदय का पलड़ा भारी हो रहा है इसलिए अभी मेरा समय खराब चल रहा है, तो पाप को घटाओ और पुण्य को बढ़ाओ। व्यक्ति अगर पुण्य की अभिवृद्धि करने की क्रिया में लग जाएगा तो ज्योतिषी के आगे जाने की कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी। पुण्य के अभाव में कितने ही बड़े ज्योतिषी के पास चले जाओ, तुम्हारा कुछ भी होने वाला नहीं है।
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