महिलाओं की शिक्षा हेतु क्या करना चाहिए एवं किस प्रकार से समाज को व्यवस्था करनी चाहिए?
जयपुर की एक विशेषता है, आज जयपुर में प्रशासनिक और न्यायिक क्षेत्र के बहुत सारे लोग हैं जो समाज के सारे संस्थानों के संचालन में अपनी प्रतिभा का उपयोग कर रहे हैं और समाज के चौमुखी विकास के लिए योगदान दे रहे हैं।
यह समाज के लिए बड़े गौरव का विषय है कि हमारी समाज में शिक्षित लोगों का प्रतिशत बहुत अच्छा है। शिक्षा की कमी तो आज नहीं है पर जो कमी हो रही है वह संस्कारों की हो रही है, संगति बिगड़ जाने के कारण। आप लोग यदि कुछ करना चाहते हैं तो मैं तो यही कहूँगा कि जयपुर शहर में लड़कियों के लिए exclusive hostel (विशिष्ट छात्रावास) खोलिए, जिसकी सख्त आवश्यकता है। जो लड़कियाँ PG में रुकती हैं उनमें बहुत भटकाव आता है। माँ-बाप के पास कोई और विकल्प नहीं रहता, तो वे क्या करें? जयपुर में इसकी शुरुआत करें बल्कि यह तो देश के हर बड़े शहर में होना चाहिए। समाज के भविष्य को बचाना है और अपनी बेटियों को भटकने से रोकना है, तो ये एक बहुत बड़ी आवश्यकता है। बेटियों के लिए भी और बेटों के लिए भी अलग-अलग छात्रावास की व्यवस्था की जाए ताकि बच्चों को अच्छी संगति मिल सके, वे भटक न सकें, वे अपने संस्कारों की सुरक्षा कर सकें।
दोनों तरह की दिक्कतें देखने में आईं। कुछ जो पहले से नियम-संयम में रहते हैं, घर से बाहर आते हैं तो उनको रात में खाना पड़ता है, उल्टी-सीधी चीजों का आलम्बन लेना पड़ता है, मन्दिर आदि भी छूट जाता है। ये सारे संस्कार छूटते हैं। बहुत सारे बच्चे और बच्चियाँ मेरे सम्पर्क में हैं जिन्होंने घर में कभी रात में नहीं खाया, बाहर आकर खाना उनकी मजबूरी हो जाती है। यदि अपने छात्रावास होंगे तो बच्चे अपने संस्कारों में दृढ़ होंगे। फिर आज का जो वातावरण है उसमें कुसंगति के कारण से बहुत ज़्यादा भटकाव आते हैं, उन भटकावों से बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। उच्च शिक्षा दिलाना आज समाज की आवश्यकता भी है और एक प्रकार की मजबूरी भी तो उसको हम रोक नहीं सकते। हम गुणवत्ता युक्त शिक्षा दें पर उसके साथ उनकी संगति की अनुकूल व्यवस्था बन जाए तो बहुत अच्छा कार्य हो।
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